Sunday, September 16, 2007

यहाँ पूछताछ करना मना है !

अभी पिछले दिनों यहाँ के एक बड़े अस्‍पताल जाना हुआ। मैं दिल्‍ली में रहता हूँ, और यहाँ का एक बड़ा अस्‍पताल है राममनोहर लोहिया अस्‍पताल। वैसे तो मैं दिल्‍ली के अनेक अस्‍पतालों के चक्‍कर काट चुका हूँ क्‍योंकि घर में कोई न कोई बीमार लगा रहता है। इस बार श्रीमती जी का नंबर था।

काफी बड़ा अस्‍पताल है। इसमें लोग अकसर लोग रास्‍ता भटक जाते हैं। एक मरीज को एक ही बीमारी के इलाज लिए कई जगहों पर जाना पड़ता है। पहले परची बनवाने (अलग अलग कैटैगरी की पर्ची अलग-अलग बनती है), फिर डॉक्‍टर के कमरे में, और फिर यदि कोई टेस्‍ट लिख दिया है तो पैसा जमा करवाने, टेस्‍ट की तारीख लेने, तय तारीख पर टेस्‍ट कराने तथा उसकी रिपोर्ट लेने। इन सब के लिए अलग-अलग कमरे निर्धारित हैं। यह कमरे कभी कभी तो अलग-अलग बिल्डिंगों में स्थित होते हैं। यदि नया आदमी हो तो निश्चित रूप से रास्‍ता भटक जाए।

इतनी बार आते-जाते रहने के बावजूद हमें भी किसी एक मुकाम तक जाने के लिए अनेक बार कई जगह और पूछना पड़ता है। यदि किसी कमरे में घुसकर पूछना चाहो कि भैया फलाँ कमरा कहाँ है, तो वह बोर्ड दिखा देता है जिसमें लिखा होता है 'यहाँ पूछताछ करना मना है'। शायद उन्‍होंने यह अपनी सहूलियत के लिए लिख रखा होगा कि यदि सबका जवाब देते रहे तो अपना काम कब करेंगे? वह बेचारे भी इतनी भीड़ को देखकर चिड़चिड़े हो जाते हैं। और इसी कारण वह सवाल पूछने वाले पर खफा हो जाते हैं। उन्‍हें खफा होने का हक है, क्‍योंकि हमारे पूछताछ से उनके कष्‍ट में अनावश्‍यक बढ़ोत्‍तरी हो जाती है। वह तो भला हो कतार में लगे लोगों का, जो आपकी मदद करते हैं। उनमें से अनेक तो ऐसे मिल जाएंगे जिनका रोज का आना-जाना है। वह आपकी पूरी मदद करते हैं, क्‍योंकि वह भी हमारे पाले में होते हैं।

जब भी मैं अस्‍पताल जाता हूँ, मेरा दिल दहल जाता है। मरीजों के रिश्‍तेदार ही उनका स्‍ट्रेचर खींच कर यथास्‍थान पर ले जाकर टेस्‍ट इत्‍यादि का काम करते हैं, क्‍योंकि वहाँ के स्‍टाफ के भरोसे रहे तो यह काम नहीं होगा। पिछली बार अस्‍पताल से बाहर निकलते समय एक वृद्ध जोड़ा दिखा जो एक दूसरे को सहारा देकर धीरे-धीरे अस्‍पताल में जा रहा था। दोनों में कौन स्‍वस्‍थ है, यह पता नहीं चलता था, या शायद दोनों बीमार थे। वह तो सीढ़ी भी नहीं चढ़ सकते हैं। या शायद सहारा लेकर धीरे-धीरे कर चढ़ेंगे। लिफ्ट से भी जा सकते हैं। पर यदि उन्‍हें एक दो अन्‍य कमरों में जाना पड़ा तो कहाँ पूछेंगे? पूछताछ के लिए शायद कोई खिड़की जरूर होगी जहाँ बैठा कोई कर्मचारी बिना किसी रूखे लहजे के उन्‍हें गंतव्‍य कतार तथा कमरे का पता विस्‍तार से समझाएगा। मुझे पूरा विश्‍वास था कि बूढ़े आदमी के लिए तो इस नियम में, कि 'यहाँ पूछताछ करना मना है' कुछ समय के लिए ढील दी जाएगी।

1 comment:

Yunus Khan said...

आनंद अपने ब्‍लॉग को नारद, चिटठाजगत और ब्‍लॉगवाणी से जोड़ो । नारद के लिए sunonarad@akshargram.com
पर मेल करो । और अपने चिटठे के बारे में बताओ । ब्‍लॉगवाणी पर जाकर ब्‍लॉगवाणी का एच टी एम एल कोड कॉपी
करो और उसे अपने चिटठे पर लगा दो । बस जुड़ गये । चिटठाजगत के लिए एक काम करो । वहां रजिस्‍टर करो ।
मेरा चिटठे मेरे औजार पर जाकर निर्देशों का पालन करो । और हां फीडबर्नर डॉट कॉम पर जाकर अपने चिटठे की फीड
तैयार करो । वहां से कुछ विजेट मिलेंगे । जिन्‍हें अपने ब्‍लॉग पर चिपका दो । स्‍टैटकाउंटर डॉट कॉम पर जाकर
एक एच टी एम एल कोड कॉपी करो और ब्‍लॉग पर लगाओ । इससे पता चलेगा कौन कहां पढ़ रहा है । आज के
लिए इतना ही । कोई भी जरूरत हो निसंकोच कहो । दिल्‍ली वाले ब्‍लॉगरों से संपर्क बढ़ाओ । फिर देखो मजा आयेगा ।
अरे तुमने मुझे बताया कैसे नहीं कि तुम्‍हारा ब्‍लॉग शुरू हो गया है । बताना चाहिये था ।