पुष्पा देवी हमारी पत्नी का नाम है। हाँ वही सरपंच पुष्पा देवी। घर पर ही हैं, परंतु आपको उनसे क्या काम है? हमसे कहिए!
इस देश के सरकार की इच्छा थी कि यहाँ से सरपंच कोई महिला बने, सो हमने यह अपनी धर्मपत्नी पुष्पादेवी को बना दिया है। सरकार ने अपना काम कर लिया, पर हमें तो अपना काम अपने हिसाब से ही करना है। सभ्य परिवारों की महिलाएँ पंचायत पर जाकर नहीं बैठतीं। यह काम हम ही देखते हैं। जिसका काम उसी को साजै। उनका काम है रोटी बनाना और बच्चे पैदा करना। और इस काम में वह माहिर है।
क्या? आपको उनसे मिलना है? ठीक है। यह रहीं श्रीमती पुष्पा देवी। घूँघट में ही ठीक हैं। मुँह देखकर क्या कीजिएगा। अच्छा ! उनसे दस्तखत करवाना है? लीजिए यहाँ हमारे पास लाइए, हम करे देते हैं।
दस्तखत में कोई गड़बड़ी नहीं है। आप बेफ़िक्र और बेधड़क होकर जाइए, सारे रिकॉर्ड में ऐसे ही दस्तखत हैं।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
हा हा, मजेदार व्यंग्य। :)
धन्यवाद श्रीशजी,
गाँवों में ऐसे कई पुष्पादेवियों के पति आपको सचमुच में मिल जाएंगे - आनंद
Post a Comment