फोटो : साभार BBCHindi.com
क्या मायावती जी, आपने तो हमारी नौकरी भी छीन ली है। एक तो अपना घर-द्वार बेचकर घूस दिया, हाथ पैर जोड़कर नौकरी मिली, वह भी छिन गई। अब आप कहेंगी कि घूस देना ग़लत है। अरे भाई, बिना घूस लिए आजकल नौकरी कोई देता है? वह भी पुलिस की? हाँ आप लोगों की नहीं दिया उन्हें दे दिया, यह ग़लती हो गई। हमारे लिए तो जैसे आप वैसे वो। हमारे जेब से कहीं तो जाना था, सो चला गया। हमने नौकरी की खुशी में पार्टी भी दे डाली थी। उसका बीस हज़ार का खर्चा अलग हुआ। बापू को हमारे जैसा होनहार बेटा पैदा करने पर नाते-रिश्तेदार और गाँववाले बधाई दे चुके है। हम भी गाँव के बच्चों को खूब पढ़-लिख कर कुछ बनने की तैयारी का लेक्चर दे चुके हैं। अब इन सब को क्या मुँह दिखाएंगे?
इतना ही नहीं, बहन के लिए अपने जैसा ही एक कमाऊ और होनहार लड़का देखकर रिश्ता पक्का किए थे। अभी शादी नहीं हो पाई थी कि उसकी नौकरी भी चली गई। नौकरी वाला लड़का ढूँढने में कितनी मेहनत लगती है क्या आप जानती हैं? सोचा था होनहार है, दरोगा लग गया है, बहन को कोई तक़लीफ़ नहीं होगी, पर हमारे सारे अरमान मिट्टी में मिल गए। और तो और, दहेज का एक लाख रूपया एडवांस भी दे चुके हैं, वह कैसे वापस मिलेंगे।
अब आप यह मत कहना कि दहेज लेना-देना भी ग़लत है।
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3 comments:
बहुत सही गुरू क्या नज़र है और क्या नज़रिया है ।
शुक्रिया! शुक्रिया !!
बढ़िया नज़र डाली है गुरु!!
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