Wednesday, October 3, 2007
सिस्टम से काम करो, तो कस्टमर को सैटिस्फैक्शन होगा।
मेरा छोटा सा गैराज है बल्कि यूँ कहो कि स्कूटर और मोटरसाइकिल रिपेयरिंग की दुकान है। स्कूटर रिपेयरिंग में इस गैराज का अच्छा खासा नाम है। आस-पास के इलाके का हर कस्टमर इस गैराज पर आता है। मैं खुद भी काम करता हूँ, तथा चार-पाँच और लड़के रखे हैं। इनमें 3 को तनख्वाह देता हूँ और दो अभी छोटे हैं, काम सीख रहे हैं।
गैराज चलाना बड़ा मुश्किल है। दो मिनट के लिए किसी काम से इधर-उधर जाओ, तो कामचोरी चालू हो जाती है। एक-एक लड़के को अपने हाथों से काम सिखाता हूँ।
ऐसे भी कस्टमर आते हैं, छोटे बच्चों को काम करता देखकर उनका जी पसीज जाता है, कभी कभी वह पढ़ने की सलाह भी देते हैं। मैंने अपने लड़कों से साफ़ कह रखा है, सिर्फ़ काम पर ध्यान देना है, कस्टमर की बात पर ध्यान नहीं देना है। यह सब बड़े लोगों के टाइम पास की बातें हैं। एक-दो लड़के छोटे हैं, इन्हें दुनियादारी की समझ नहीं है, धीरे-धीरे सारी बातें समझ जाएंगे।
अभी कल की ही बात है, एक लड़के को डाँटना पड़ा। एक स्कूटर का क्लच ढीला था, उसने अपनी उंगलियों से उसका नट टाइट कर दिया। काम हो गया, कस्टमर थैंक्यू बोलकर चलता बना।
मैंने हज़ार बार समझाया है "बेटे, चोट लग सकती है। ऐसे कभी अपने हाथों से कोई नट-बोल्ट टाइट मत करो, रिंच और पेंचकस लेकर जाओ। कोई नट ढीला हो तो उसे निकालकर दुकान से दूसरा नट लगा दो।"
नहीं जनाब, पैसे की बात नहीं है, सिस्टम की बात है। मैं एकाध नट का पैसा यूँ भी नहीं लेता। सिस्टम से काम करो तो कस्टमर को भी सैटिस्फैक्शन होगा। बच्चे अभी नादान हैं, इस बात को समझने में इन्हें टाइम लगेगा।
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2 comments:
चलो, अच्छा सिखा रहे हो तो सीख ही जायेंगे एक दिन. अभी तो बच्चे हैं. :)
यहाँ तो बच्चों को सिखाने की बात है। आप तो उस्ताद हैं। :)
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